Ek Saadhu Ki Maut : एक साधू की मौत

अभी चार बाबा लोग चर्चे में है. हालाकि बाबा हमेशा से ही चर्चे में रहे है  पर इस बार कारण अलग अलग है. एक बाबा जो सबसे चर्चे में है उनका नाम है बाबा रामदेव. थे बेचारे योगी. सब ठीक ठाक ही चल रहा था. सब सुन्दर सब पवित्र. सारे देश के लोग खुश सारे देश के लोग स्वस्थ. बाबा से किसी का कोई नुकशान न था इस लिए बाबा पे कोई इलज़ाम भी न था. फिर अचानक बाबा को सूझी चलो देश के विकाश के लिए कुछ करेंगे. लोग तो स्वस्थ हो ही रहे है अब समृद्ध भी हो जायेंगे. पर बाबा को पता न था की कीचड के ये खेल बहुत कठिन होते है. आप कुछ कीचड फेकोगे  तो लेना भी पडता है कुछ. और तब तो और ज्यादा लेना पडता है जब बेश्यालय में जाके कीर्तन करना शुरू कर दो. बहुत छोटा था तो मेरे दादाजी मुझे एक मुहावरा कहा करते थे - बैल जैसा हो घास वैसा ही देते है. पर बाबा इस बात को समझ न पाए और लगे बिगड़े बैल को अछा घास  खिलाने. बैल तो बिगडैल  लगा सिंग उठा के मारने. बाबा ने कहा काला धन लाओ बैल ने कहा डंडा  दिखाओ. बाबा इस बार भी एक छोटी चीज़ समझने से चूक गए और वो है जिसकी लाठी उसकी भैस.
         दूसरे बाबा तो हमेशा से चर्चा में रहे है . जब से समझाना शुरू किया तब से वो घुघराले बाल देखते आया हू मै. बाबा तो चले गए गोलोक पर पीछे छोड़ गए ढेर सारा रूपया . और जैसा की अक्सर होता है चेले एक दुसरे का सर फोड़ने लगे की कौन होगा बाबा का असली उत्तराधिकारी..नहीं नहीं आप ऐसा नहीं सोचो की बाबा के ज्ञान के अधिकार की बात हो रही है. यहाँ पर बाबा के धन की बात हो रही है. हालाकि बाबा 'भगवान्' थे वो बोल के भी गए है की मै फिर आऊंगा. पता नहीं ये सहानुभूति के शब्द है या चेतावनी के. पर अभी अभी बाबा का जब घर खोला गया तो पता चला की बाबा के घर में ११.५६ करोड़ रुपये और ९८ किलो सोना और ३०७ किलो चाँदी थी. मै तहरा मंद बुधि आदमी. अब कितना होगा सब मिला के नहीं बता सकता पर इतना जरूर मालूम है की ''गोंड' को भी 'गोल्ड' की जरूरत होती है.
             तीसरे वाले थोड़े भारीभरकम बाबा है. नाम है चंद्रास्वामी. कुछ सालो पहले ये त्रिदेव के रूप में आया करते थे. इनके सहभागी थे- हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री श्री नरसिम्हा राव जी और लखु भाई पाठक. बाबा कुछ सालो से भुगत हो गए थे . चुकी बाबा लोगो का मौसम चल रहा है इस लिए ये बाबा भी आ गए है बाज़ार में.  सर्वोच्च न्यायालय ने बाबा चंद्रास्वामी से कहा है की वो ९ करोड की धनराशि हर्जाने के रूप में जमा करे. कहते है बड़े लोगो की सब बड़ी चीज़ होती है, चाहे वो अच्छाई हो या बुराई . ये बड़ी बात ही बाबा का हर्जाना भी इतना बड़ा है .
  चौथे बाबा और बड़े बेचारे किस्म के बाबा का नाम है स्वामी निगमानंद . मै बेचारा इसलिए कहा कहा की बाबा के चेलो में कोई प्रधानमंत्री या मंत्री का नाम नहीं था नहीं तो बाबा ऐसे असमय सदगति को प्राप्त नहीं होते है . बाबा गंगा मैया को बचाने के लिए आमरण अनशन पे बैठे हुए थे. और भूखे ही मर गए . कौन कहता है की 'जाती न पूछो साधू की '?? अगर बाबा सच में उची जाती (??) के होते तो क्या ऐसे ही व्यर्थ मारे जाते?? क्यों बाबा के चेले अगर मंत्री संत्री होते तो बाबा के संघर्ष को लोग उनके मरने के बाद जानते ?? या बाबा के मरने के बाद भी ऐसे ही चुप्पी रहती जैसे की अभी है?? कभी नहीं. तब हमारा सारा 'सिस्टम'  हिल गया होता. क्यों की बाबा के पास 'वोट' होते और इसी कारण बाबा के आस मंत्री संत्री भी होते. एक साधू मर तो मर गया पर भारत बर्ष के सामने हमारे समाज के सामने प्रश्न उतने ही ज्वलंत है. अखित हमारा समाज  एक मनुष्य का मूल्य कैसे निर्धारित करता है???     . 

5 आपकी राय:

  1. Udan Tashtari said...:

    ऊँचे लोगों का ऊँचा खेल.

  1. संजय said...:

    सही कहा भाई साहब खुश चाहे पुजारी हो या देवी कटना बकरे को ही पडता है

  1. SM said...:

    well written
    lol
    they just want to rob no shame

  1. कुछ समझ में नहीं आया ये लेख ...........आप कहना क्या चाहते हैं ??? नित्नी संपत्ति साईं बाबा के पास मिली है उससे कहीं ज्यादा कुछ चर्चों के पास है .....और जहाँ तक निगमानंद की मृत्यु का प्रश्न है तो कंसों के राज में संतो को तो मृय्तु ही मिलेगी ना

  1. संजय said...:

    हम अपने घर की बात कर रहे है अंकित जी! चर्चो के पास कितनी है ये हमारी संशय नहीं है. और पैसा रखना कभी समस्या नहीं है आप पैसा कैसे रखते है ये समस्या है

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