आदमी और 'और जानवरों' में क्या अंतर है ? अगर ओशो की माने तो आदमी एक मात्र ऐसा जानवर है जो भगवान् के लिए भी घर बनाता है. अगर मेरी माने तो आदमी एक मात्र ऐसा जानवर है जो बर्तमान की चिंता छोड़ के या तो भविष्य की चिंता में जीता है या फिर अपने अतीत को सोच के जीता है. भारत ने देश के ५० 'मोस्ट वांटेड' (अगर हिंदी में कहे तो देश के सबसे चहेते :) ) आतंकवादियों की एक सूचि निकाली है. इसमें सारे चेहरे पहचाने हुए और सूचि में कोई नाम ऐसा नहीं है जो आपको चौका दे . हम सभी जानते है उनको और भारत अपने इन चहेतों का पाने के लिए बहुत बरसो से लायायित है. इसमें कोई बुराई नहीं है. उन्होंने देश्वासिये के साथ बहुत बुरा किया है और एक जिम्मेदार देश को ऐसा बुरा करने वालो को जेल में डालना ही चाहिए. पर पता है मै कभी न चाहूँगा की ये ५० लोग पकडे जाए. हैरानी की कोई बात नहीं है इसमे. मेरे ऐसे सोचने के पीछे एक कारण है. अगर मान इन लीजिये की ये लोग पकड़ लिए गए तो भारत सरकार इनके साथ क्या करेगी ?? क्या आप सोचते है की ये लोग अपने किये का दंड पायेंगे ?? अगर कसाब, अबू सालेम इत्यादि (इत्यादि इसलिए क्योकि सूचि लम्बी हो जायेगी ) को पकड़ के भी हमारी सरकार बात कर रही है (या पता नहीं अगले कंधार का इंतज़ार कर रही है ??) तो ऐसा आपका बिस्वाश क्यों है की इन भाई जान लोगो को पकड़ के उनको दंड दिया जाएगा . हम संसार में एक मात्र प्राणी है जो हज़ारो बर्ष पहले खो गए डायनासोरो को खोजते है पर बर्तमान में मौजूद प्राणियों का सर्वनाश किये जा रहे है. यह बात हमारे भारत बर्ष के लिए भी सही है. इसलिए ऐसा भ्रम रखना मुर्खता है की भारत बर्ष ऐसे लोगो को दंड देगा जो उनके लोगो का बुरा किया है. सब कोई संयुक्त राज्य अमेरिका तो नहीं हो सकता नहीं. हमारे देश में मनुष्य की जान ही तो सबसे सस्ती है.
हम बहुत कुछ भावनावो के बहाव में करते है. बास्तव है मनुष्य की भावना ही है जो हमसे अछा करवाती है या फिर बुरा . आप इस विडियो को देखे समझ जायेंगे की ये भावना मनुष्य से क्या नहीं करवा सकती है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने जब लादेन को उसके किये की सज़ा दी तो भारत बर्ष भी थोडा उत्तेजित हो गया. हमारे देश के कर्ताओं को भी ध्यान आया की उनका कर्तव्य क्या है !! तब उन्होंने इस सूचि को बाहर कर दिया पर आप इस बहुत गंभीरता से ना ले. हम ऐसे ही सूचि बहार करते रहेंगे. और अंततः हम उन्हें पकड़ के करेंगे भी क्या. भारतवासियों के करो के पैसे पे बैठा के खिलाने के लिए हमारे पास पहले से ही बहुत सारे अपराधी है. इनमे से कुछ को हम छोड़ ले. कुछ को जमानर पर रिहा कर ले फिर आराम से बैठ के सोचेंगे की कुछ नए लोगो को कहा से और कैसे लायेंगे.
जय भारत .
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